डर के ताले जिनके पीछे कैद हैं विश्वास और निश्चिंतता। डर के ताले जिनके पीछे कैद हैं विश्वास और निश्चिंतता।
बेटे ! अब तुम हमको भूल गए! पता नहीं किस दुनियाँ में यूँ तुम उलझ गए !! मुड़ के भ बेटे ! अब तुम हमको भूल गए! पता नहीं किस दुनियाँ में यूँ तुम उलझ गए !...
राह तकते हुए ये आंखें बूढ़ी हो गईं। तुम्हें देखने को निगाहें तरस गई। राह तकते हुए ये आंखें बूढ़ी हो गईं। तुम्हें देखने को निगाहें तरस गई।
आँखें, जब किसी की पानी से भरी हुई परातें बन जाएं... आँखें, जब किसी की पानी से भरी हुई परातें बन जाएं...
मना कर रही पड़ी बेबस, रहने दो बेजान पड़ी बूढ़ी माँ यू बिलख रही है, लादे मेरा लाल कोई। मना कर रही पड़ी बेबस, रहने दो बेजान पड़ी बूढ़ी माँ यू बिलख रही है, लादे मेरा लाल...
कल मालिक ने उसे यहां बांधा था रात से कुछ खाया भी नहीं था कल मालिक ने उसे यहां बांधा था रात से कुछ खाया भी नहीं था